Monday, March 30, 2015

bahut saari baaten aisi hoti hain jo hame faltu me hi paresaan karti rahti .
mool me dekha jaye to in samasyaon ka koi matlab nahi hota hai.

main srimad bhagvat geeta ka adhyayan kar rah hu mane paye hai ki hamari babut sari samasyaon ka solution isme hai.

ham kyu paressan hote hain hamare jeevan ka uddyesaya hai. kabhi kabhi to lagta hai ki hum iss dharati par hi kyo aye hain .yakeen maniye hame ek pal aisa hi lagata hai par hamesa ha nahi  lekin jab hum iske  mool me jayenge to hum ye hi payenge ki ye to sab hamare vicharon ka tana bana hai aur kuchh nahi. vastav me in vicharon ka koi adhar nahi tah.


jase share market ko hi le ligiye ham log paisa lagate hain market down hota hai to kai logo ko hart attack tak aa jaata hai,
ya bahut khus hue to bhi hart attack aa jata hai.. hame apne aap ko har situation ke liye taiyar rakhna chaiye. aur in sab faltu ke vicharon se apna pichha chhudakar .positive direction me sochna chaiye.
pratikulta me bhi anulkulta ki khoj karni chaiye...


koi hamare upar hasata hai to hame lagata hai vo hi hamara sabse bada dushman hai. agle hhi pal haum use apna vacharik shatru maan lera hain. aisa hota hai hamari human tendency hi aisi hoti hai. hum sab log apne apne vicharo aur anubhavo ke saath aur apne anubhavon ke adhar par hi koi nirnay leta hain.

 कुल मिला कर हमें तो ये ही लगता है हम बेकार की  में  समय गवाते हैं। सही जगह पर हमें सही समय पर अपना काम करना चाहिए।  परेशानिया आती जाती रहती हैं। बस हमें इनसे ;होना चाइये और अपने   चाहिए। 







Saturday, January 5, 2013

इच्छा शक्ति


मैं भी लोगो की तरह अपने विचार व्यक्त करना चाहता हू.मैंने लोगो के बहुत सारे लोगो के विचार पढ़े हैं ,कुछ व्यक्त करने से पहले उस विषय का टोपिक पता होना चाहिए . मेरा टोपिक है इंसान की इच्छाएं ज़रुर पूरी होती हैं. थोडा टाइम जरुर लगता है.ये भी सच है की हमें हर चीज़ की कीमत चुकानी पड़ती है.कहते हैं की ऊपर वाला जो करता है सब कुछ नाप लोख कर करता है. इसके पीछे हमारी योग्यता छुपी हुई होती है.अर्थात हमें उस लायक बनना पड़ता है.कहते हैं भिखारी है वह मर्सिदिज में घूमने का सपना देखता है . तो क्या उसकी इच्छा पूरी होगी नहीं. क्योंकि वो सके योग्य नहीं है, उसके लिए उसे उस प्रकार का कठिन श्रम करना पड़ेगा.जिस प्रकार की वो इच्छा रखता है. क्योकि इच्छाएं एक दूसरे से जुडी हुई होटी हैं. मैंने एक किताब the power of positive thinking में पढ़ा था . हम जैसा सोचते हैं वैसा बन जाते हैं . जैसी सोच वैसा आदमी. हम जो सोचते हैं उसी तरह के मानसिक तरंगे हमारे चारो तरफ वातावरण में फ़ैल जाते हैं.और उसी तरह की ऊर्जा का निर्माण हो जाता है.और यदि मनुष्य अपनी द्रिंह इच्छा शक्ति से यदि अपने अपने विचार पर कायम रहता है तो उसकी सोच उसकी कार्य में बदल जाना सुरु हो जाते . और यह कार्य जब परवान चढ़ता है तो इंसान अपने टारगेट हो प्राप्त करता चला जाता है.

akhri seekh


गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त कर रहे शिष्यों में आज काफी उत्साह था , उनकी बारह वर्षों की शिक्षा आज पूर्ण हो रही आखिरी उपदेश … थी और अब वो अपने घरों को लौट सकते थे . गुरु जी भी अपने शिष्यों की शिक्षा-दीक्षा से प्रसन्न थे और गुरुकुल की परंपरा के अनुसार शिष्यों को आखिरी उपदेश देने की तैयारी कर रहे थे। उन्होंने ऊँची आवाज़ में कहा , ” आप सभी एक जगह एकत्रित हो जाएं , मुझे आपको आखिरी उपदेश देना है .” गुरु की आज्ञा का पालन करते हुए सभी शिष्य एक जगह एकत्रित हो गए . गुरु जी ने अपने हाथ में कुछ लकड़ी के खिलौने पकडे हुए थे , उन्होंने शिष्यों को खिलौने दिखाते हुए कहा , ” आप को इन तीनो खिलौनों में अंतर ढूँढने हैं।” सभी शिष्य ध्यानपूर्वक खिलौनों को देखने लगे , तीनो लकड़ी से बने बिलकुल एक समान दिखने वाले गुड्डे थे . सभी चकित थे की भला इनमे क्या अंतर हो सकता है ? तभी किसी ने कहा , ” अरे , ये देखो इस गुड्डे के में एक छेद है .” यह संकेत काफी था ,जल्द ही शिष्यों ने पता लगा लिया और गुरु जी से बोले , ” गुरु जी इन गुड्डों में बस इतना ही अंतर है कि - एक के दोनों कान में छेद है दूसरे के एक कान और एक मुंह में छेद है , और तीसरे के सिर्फ एक कान में छेद है “ गुरु जी बोले , ” बिलकुल सही , और उन्होंने धातु का एक पतला तार देते हुए उसे कान के छेद में डालने के लिए कहा .” शिष्यों ने वैसा ही किया . तार पहले गुड्डे के एक कान से होता हुआ दूसरे कान से निकल गया , दूसरे गुड्डे के कान से होते हुए मुंह से निकल गया और तीसरे के कान में घुसा पर कहीं से निकल नहीं पाया . तब गुरु जी ने शिष्यों से गुड्डे अपने हाथ में लेते हुए कहा , ” प्रिय शिष्यों , इन तीन गुड्डों की तरह ही आपके जीवन में तीन तरह के व्यक्ति आयेंगे . पहला गुड्डा ऐसे व्यक्तियों को दर्शाता है जो आपकी बात एक कान से सुनकर दूसरे से निकाल देंगे ,आप ऐसे लोगों से कभी अपनी समस्या साझा ना करें . दूसरा गुड्डा ऐसे लोगों को दर्शाता है जो आपकी बात सुनते हैं और उसे दूसरों के सामने जा कर बोलते हैं , इनसे बचें , और कभी अपनी महत्त्वपूर्ण बातें इन्हें ना बताएँ। और तीसरा गुड्डा ऐसे लोगों का प्रतीक है जिनपर आप भरोसा कर सकते हैं , और उनसे किसी भी तरह का विचार – विमर्श कर सकते हैं , सलाह ले सकते हैं , यही वो लोग हैं जो आपकी ताकत है और इन्हें आपको कभी नहीं खोना चाहिए . “ —————————————————–

Friday, January 4, 2013

Der na kare

मुझे लिखने का बड़ा ही शौक है किन्तु इतना समय ही नहीं मिलता है की मै भी अपने मन के विचारों को अपने बूग पर उतरना चाहता हू .मैं अपने एक दोस्त से बहुत ही प्रभावित हू वो है उसका नाम है गोपाल मिश्र . मुझे उसके विचारों को व्यक्त करने का तरिका बहुत ही अच्छा लगता है . यदि आप उसके बारे में जानना चाहते हैं तो कृपया www.achhikhabar.com जरुर पढ़े. वो क्या है पता चल जायेगा उसके बारे में. मेरी बहुत दिनों से इच्छा थी मै एक वेबसाइट बनाऊंगा और उसपर अपने विचारों को लिखूंगा.ताकि लोग मेरे विचारों से अवगत हो सके और उनसे लाभ उठा सके. परन्तु मुझे ऐसा करने में ५ साल लग गए और वहीं पर मेरे दोस्त ने न जाने कितने कोन्त्रेंट को लिख डाला. अब प्रश्न यह उठता है की मै ये सब क्यों कह रहा हूँ? इसका उत्तर यह है की मैं आपको इस बारे बताना चाहता हू कि आप कोई भी काम को कल पर मत टालिए . मन करता है और आपलो लगता है इस काम को करना है तो उसे अभी कर डालिए. जैसा कि कबीर दस जी ने कहा कि "काल करे सो आज कर आज करे सो अब , पल में परलय होवेगी बहुरि करेगा कब" . पहले के लोग काम कि महता को समझते थे. इसी संधर्भ में बहुत लोगो ने अपने विचारों को व्यक्त किया हुआ है. वो काम कि महत्ता के बारे में समझते थे . मैं अपनी मम्मी से रामायण में रावन सम्वाद को कहते हुए सुना है. जब रावन का अंतिम समय आ गया था . तो राम ने लक्ष्मण को उससे उपदेश लेने के लिए भेजा .रावन बहुत ज्ञानी पंडित था और साथ ही एक महान ज्योतिष भी था. उसके द्वारा लिखी गयी रावन सन्हिता से सटीक भविष्यवाणी कि जा सकती है.उसने

Wednesday, January 2, 2013

Ek chingaari

जैसा कि मैंने अपने शीर्षक का नाम लिखा है एक चिंगारी. ये विचार मेरी उस देल्ही रेप कांड से प्रभावित है जिसने आज के समय में पुरे देश को हिला कर रख दिया है.बहुत लोगो ने बहु कुछ लिखा पर कुछ समय के बाद ये सब पुरानी बात हो जायेगी.पर समस्य तो जस कि तस रहेगी . इस समय महोल दूसरा है कोई भी सिक्के के दूसरे पहलु कि तरफ गौर नहीं कर रहा है. और वो है हमारी मानसिकता और हमारी संकीर्ण सोच. जबतक हम अपने आपको नहीं बदलेंगे तबतक हम व्यवस्था नहीं बदल सकते हैं,और इस प्रकार के घटनाओ कि पुनरावृत्ति होती रहेगी.

इस समय सभी चैनल पर देल्ही रेप कांड को बहुत सही तरीके से उछाला गया और इस तरह से उछाला गया कि यह एक राष्ट्रीय समस्या बन गयी. इसके लिए मीडिया धन्य वाद का पात्र है .और मीडिया ने कवरेज खूब दिया और पैसा भी खूब बनाया. भाई जो दीखता है वो बिकता है.उनके लिए ये हाट ब्रेकिंग समाचार थी. चलिए बहुत सी बाते हैं जो यदि इनको यहाँ पर विस्तार से प्रदर्शित किया जायेगा तो पूरी ग्रन्थ भी भर जायेगी. और हम अपने मुद्दे से भटक जायेंगे. पर सवाल ये है हम अपनी सोच कैसे बदलेंगे सभी कोई बात करता हैं कि देल्ही में ये गया सब कोई जान गए . और सब देश के बाकी जगह में इससे भयंकर घटनाये होती है और उनको कोई जान नहीं पाता है.क्योंकि ऐसे जगहों पर मिडिया कि ए सी वेन नहीं पहुच पाटा है . और वो खबर दब के रह जाती है.केवल समस्या को बाधा चढा कर दिखाया जाता है . पर उसके उन्मूलन कि कोई बात नहीं करता है.

हमें अपने देश को बदलना है, जहाँ पर नारी कि पूजा होती है. पर ये घनघोर विडंबना है कि उसी देश में दुनिया सबसे अधिक बलत्कार होते हैं.जहाँ पर लड़के लड़कियों के लिए अलग अलग शिक्षा व्यवस्था होती है. वे चाहे तो एक साथ को एदुकेसन ले सकते हैं. जहा पर लड़के लड़कीया साथ में पढ़ सकते हैं. और पढते भी हैं. पर समस्या जस कि तस बनी हुई है.

सोच वो पुरानी वाली सोच लड़के को ज्यादा अहमियत दी जाती है चाहे किसी भी सोसायटी से समंध रखता हो. पुरुष प्रधान समाज है वो चाहे कुछ भी अत्याचार कर सकता है नारी के खिलाफ.ऐसी सोच वाले लोग हैं इस समाज में, ये ही सोच उनको अपराध करने में उकसावा देती है. मेरे ख्याल से कुछ विन्दु हैं जिन्हें मैं यहाँ पर प्रदर्शित करना चाहता हू..
१. पहली बात तो ये है लड़के लड़की को सामान रूप संस्कार दिए जाएँ ,दोनों को बराबर का अधिकार दिया जाए.

२. सामान शिक्षा के अधिकार को प्रभावी ढंग से लागु किया जाए.
३. लड़के तथा लड़कियों को सही समय पर सेक्स एडुकेशन दिया जाए.मैं समझता हू जब लड़का,लड़की कि उम्र १२ साल के हो जाए तो तभी से ही उन्हें उनकी सरीर कि बनावट और उनके एंगो के विकाश तथा उनके सरीर में होने वाले परिवर्तन का ज्ञान उन्हें होना चाहिए.
४. यदि लड़का सेक्स सम्बंधी मामलो को लेकर काफी उग्र हो रहा है या उसमे उतेजना सामान्य से ज्यादे आ जा रही हो तो उसका तुरंत इलाज कराकर उसकी सेक्स एडुकेशन को कंटीन्यू कर देनी चाहिए.
५. बलात्कार एक संकीर्ण अपराध है, ऐसे लोगों का मानसिक इलाज कराकर उन्हें नपुंसक बनादेना चाहिए. ये उनके गुप्तांग को काट देना चाहिए.
६. ऐसे लोगो को समाज से बहिस्कृत कर देना चाहिए.तथा उन्हें तडप तडप कर मरने के लिए छोड़ देना चाहिए.
७. ये बहुत ही बड़े दुर्भाग्य कि बात है हमारे देशमे लड़का लड़की को मिलने नहीं दिया जाता है एक दीवार खीछ दी जाती है. जाति कि हाशियत कि,नतीजा क्या होता है कि एक सही उम्र पर विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण होता है, उनसे बात करने का समझने का, जिनसे लड़का या लड़की के मनमें में मानशिक कुंठा पनप जाती है, और ये कुंठा जब उग्र हो जाती है ये बलात्कार जैसे जघन्य अपराध का कारन बनती है.
८. हमारे देश में लड़के लड़की को साडी से पहले सेक्स करने में मनाही है परन्तु ऐसा कहा संभव है आज के ज़माने में . मेरे ख्याल से लगभग ९० प्रतिशत लोग तो साडी से पहले किसी न किसी रूप में सेक्स तो करते ही हैं.,
९. यदि लड़का लड़की दोनों राज़ी हैं तो इसमें क्या हर्ज है. दोनों बालिग हैं स्व्तंत्र हैं . यदि दोनों कि इच्छा इसमें सामिल है हमें इससे बढ़ावा देना चाहिए.नाकि रोकना चाहिए.