Ek Chingaari
Monday, March 30, 2015
Tuesday, January 8, 2013
Saturday, January 5, 2013
इच्छा शक्ति
akhri seekh
Friday, January 4, 2013
Der na kare
Wednesday, January 2, 2013
Ek chingaari
जैसा कि मैंने अपने शीर्षक का नाम लिखा है एक चिंगारी. ये विचार मेरी उस देल्ही रेप कांड से प्रभावित है जिसने आज के समय में पुरे देश को हिला कर रख दिया है.बहुत लोगो ने बहु कुछ लिखा पर कुछ समय के बाद ये सब पुरानी बात हो जायेगी.पर समस्य तो जस कि तस रहेगी . इस समय महोल दूसरा है कोई भी सिक्के के दूसरे पहलु कि तरफ गौर नहीं कर रहा है. और वो है हमारी मानसिकता और हमारी संकीर्ण सोच. जबतक हम अपने आपको नहीं बदलेंगे तबतक हम व्यवस्था नहीं बदल सकते हैं,और इस प्रकार के घटनाओ कि पुनरावृत्ति होती रहेगी.
इस समय सभी चैनल पर देल्ही रेप कांड को बहुत सही तरीके से उछाला गया और इस तरह से उछाला गया कि यह एक राष्ट्रीय समस्या बन गयी. इसके लिए मीडिया धन्य वाद का पात्र है .और मीडिया ने कवरेज खूब दिया और पैसा भी खूब बनाया. भाई जो दीखता है वो बिकता है.उनके लिए ये हाट ब्रेकिंग समाचार थी. चलिए बहुत सी बाते हैं जो यदि इनको यहाँ पर विस्तार से प्रदर्शित किया जायेगा तो पूरी ग्रन्थ भी भर जायेगी. और हम अपने मुद्दे से भटक जायेंगे. पर सवाल ये है हम अपनी सोच कैसे बदलेंगे सभी कोई बात करता हैं कि देल्ही में ये गया सब कोई जान गए . और सब देश के बाकी जगह में इससे भयंकर घटनाये होती है और उनको कोई जान नहीं पाता है.क्योंकि ऐसे जगहों पर मिडिया कि ए सी वेन नहीं पहुच पाटा है . और वो खबर दब के रह जाती है.केवल समस्या को बाधा चढा कर दिखाया जाता है . पर उसके उन्मूलन कि कोई बात नहीं करता है.
हमें अपने देश को बदलना है, जहाँ पर नारी कि पूजा होती है. पर ये घनघोर विडंबना है कि उसी देश में दुनिया सबसे अधिक बलत्कार होते हैं.जहाँ पर लड़के लड़कियों के लिए अलग अलग शिक्षा व्यवस्था होती है. वे चाहे तो एक साथ को एदुकेसन ले सकते हैं. जहा पर लड़के लड़कीया साथ में पढ़ सकते हैं. और पढते भी हैं. पर समस्या जस कि तस बनी हुई है.
सोच वो पुरानी वाली सोच लड़के को ज्यादा अहमियत दी जाती है चाहे किसी भी सोसायटी से समंध रखता हो. पुरुष प्रधान समाज है वो चाहे कुछ भी अत्याचार कर सकता है नारी के खिलाफ.ऐसी सोच वाले लोग हैं इस समाज में, ये ही सोच उनको अपराध करने में उकसावा देती है. मेरे ख्याल से कुछ विन्दु हैं जिन्हें मैं यहाँ पर प्रदर्शित करना चाहता हू..१. पहली बात तो ये है लड़के लड़की को सामान रूप संस्कार दिए जाएँ ,दोनों को बराबर का अधिकार दिया जाए.
२. सामान शिक्षा के अधिकार को प्रभावी ढंग से लागु किया जाए.
३. लड़के तथा लड़कियों को सही समय पर सेक्स एडुकेशन दिया जाए.मैं समझता हू जब लड़का,लड़की कि उम्र १२ साल के हो जाए तो तभी से ही उन्हें उनकी सरीर कि बनावट और उनके एंगो के विकाश तथा उनके सरीर में होने वाले परिवर्तन का ज्ञान उन्हें होना चाहिए.
४. यदि लड़का सेक्स सम्बंधी मामलो को लेकर काफी उग्र हो रहा है या उसमे उतेजना सामान्य से ज्यादे आ जा रही हो तो उसका तुरंत इलाज कराकर उसकी सेक्स एडुकेशन को कंटीन्यू कर देनी चाहिए.
५. बलात्कार एक संकीर्ण अपराध है, ऐसे लोगों का मानसिक इलाज कराकर उन्हें नपुंसक बनादेना चाहिए. ये उनके गुप्तांग को काट देना चाहिए.
६. ऐसे लोगो को समाज से बहिस्कृत कर देना चाहिए.तथा उन्हें तडप तडप कर मरने के लिए छोड़ देना चाहिए.
७. ये बहुत ही बड़े दुर्भाग्य कि बात है हमारे देशमे लड़का लड़की को मिलने नहीं दिया जाता है एक दीवार खीछ दी जाती है. जाति कि हाशियत कि,नतीजा क्या होता है कि एक सही उम्र पर विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण होता है, उनसे बात करने का समझने का, जिनसे लड़का या लड़की के मनमें में मानशिक कुंठा पनप जाती है, और ये कुंठा जब उग्र हो जाती है ये बलात्कार जैसे जघन्य अपराध का कारन बनती है.
८. हमारे देश में लड़के लड़की को साडी से पहले सेक्स करने में मनाही है परन्तु ऐसा कहा संभव है आज के ज़माने में . मेरे ख्याल से लगभग ९० प्रतिशत लोग तो साडी से पहले किसी न किसी रूप में सेक्स तो करते ही हैं.,
९. यदि लड़का लड़की दोनों राज़ी हैं तो इसमें क्या हर्ज है. दोनों बालिग हैं स्व्तंत्र हैं . यदि दोनों कि इच्छा इसमें सामिल है हमें इससे बढ़ावा देना चाहिए.नाकि रोकना चाहिए.